Monday, May 10, 2010

अपना बचपन याद आता है

मुझे अब भी कभी कभी अपना बचपन याद आता है. कितने हसीं दिन थे वो. मैं गाँव की पगडंडियों से होता हुआ गाँव के ही एक स्कूल में पढने जाता था. गाँव की जिन्दगी और शहर की जिन्दगी में एक बहुत बड़ा फर्क येही होता है. गाँव से आठ साल की उम्र में ही मैं शहर आ गया.

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